હતાશ મન

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रास नहीं आई उन्हें दोसती हमारी,
और दुश्मनी का फर्ज़ हमें निभाना नहीं आता।
कैसे उतारेंगे सिरसे कर्ज़ हम तुम्हारा,
धोखाधड़ी का दाग हमें मिटाना नहीं आता।।

– અમિત ટેલર “કાચબો” ૧૨/૦૩/૨૦૨૧

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